अहद ए अमीर मुआविया में सिंध पर मुहीम

(हजरत अमीर मुआविया के शासन में सिंध पर चढ़ाई )

हज़रत अमीर मुआविया रजी० के अहदे खिलाफत में 44 हिज़री में उस सरहद पर मुहलब बिन अबी सफरा ने हमला किया बन्ना और लाहौर तक आया यह दोनो शहर मुल्तान और काबुल के बीच स्थित है, यहां दुश्मन उसके मकाबिल ( बराबर ) हुआ और मुहलब और उसके साथियों से जंग की मगर वह नाकाम रहा। कैकान में अठारह तुर्क घोड़ों पर सवार मुहलब से मिले उन्होंने मुहलब से जंग की और सबके सब कत्ल हो कर दिए गए। बन्ना की जंग के बारे में अज़दी शायर कहता हैं।

 तर्जुमा - क्या तूने नही देखा की जिस शब को मकामे बन्ना में अज़दियों पर शब खून ( रात का हमला ) मारा गया। वह मुहलब के लश्कर के बेहतरीन सिपाही थे।

अब्दुल्लाह बिन आमिर इराक़ के गवर्नर ने हजरत मुअविया रजी० के ज़माने में अब्दुल्लाह बिन सुवार को सिंध का गवर्नर बनाया था चुनांचा अब्दुल्लाह बिन सुवार ने कैकान पर हमला किया और बहुत सा माले गनीमत हासिल किया फिर अब्दुल्लाह  हजरत मुआविया रजी० के पास मुल्के शाम हाजिर हुआ कैकानी घोड़े तोहफ़े में पेश किए और कुछ वक्त उनके पास रुका और फिर कैकान की तरफ वापिस चला आया तो इस मर्तबा कैकानियों ने तुर्को से फौजी मदद मांगी और तुर्कों ने उसे कत्ल कर दिया। अब्दुल्लाह बिन सुवार के हक में शायर कहता है - इब्ने सुवार बहरहाल भूख और प्यास को फना करने वाला है।

  अब्दुल्लाह बिन सुवार बड़ा सखी ( दानी ) था उसके लश्कर में कोई शख्स उसके मुतबिख ( बावर्ची खाना ) की आग के अलावा आग नहीं जला सकता था। तमाम लश्कर उसके दस्तरख्वान पर ही खाना खाता इसलिए बावर्ची खाना के अलावा कहीं और आग नहीं जलती थी। एक रात उसने कहीं आग जलते देखी तो कहा कि ये क्या? लोगों ने कहा एक बूढ़ी औरत है उसके लिए हलवा बनाया जा रहा है तो उसने हुक्म दिया कि तीन दिन तक तमाम लश्कर को हलवा खिलाया जाए।

  जियाद बिन अबी सूफियान ने अमीर मुआविया रजी० के ज़माने में संनान बिन सलमा बिन मुहबिक हिज्ली को सिंध का गवर्नर बनाया। संनान बड़ा काबिल और खुदा परस्त आदमी था वह पहला शख्स है जिसने लश्कर को तलाक़ की कसम दिलायी यानी हर सिपाही से कसम ली कि अगर वह मैदाने जंग से भागे तो उसकी बीवी पर तलाक़ चुनांचा संनान हिंद की सरहद पर आया और मकरान को तलवार के दम पर जीत लिया और उसकी आबादी को फैलाकर उसे शहर बना दिया और वहीं रुककर सिंध के शहर का नज्मों नसक ( इंतेजाम) किया, उसी के बारे में शायर कहता है -

  एक मैने देखा सारे कबीला ने अपनी कसमों में एक ऐसी कसम जो औरतों की तलाक़ की इजाद है जिनको वो मेहर भी नही पहुंचाते यकीनन आसान हो गई मुझपर इब्ने मुहबिक कसम जबकि उन औरतों की गर्दनों ने सुनहरी जेवरात को बुलंद और नुमाया किया।

  यानी उन औरतों की हसीन गर्दनों और जेवरात को देखकर आखिरी दम तक लड़ना और कसम को पूरा करना हमारे लिए आसान हो गया कि अगर हम भाग गए तो ये दुश्मन के हाथ पड़ेंगी। अरब औरतों को मैदाने जंग में हमराह रखते थे जिसका एक फायदा ये भी था।

   इब्ने कल्बी लिखते है कि जिस शख्स ने मकरान फतह किया वह हकीम बिन अब्दी था फिर जय्याद ने सिंध की सरहद पर  कबीला अज्द मन से राशिद बिन उमर को गवर्नर बनाया चुनांचा राशिद मकरान आया फिर कैकान पर हमला किया और  फतह पायी फिर * कौमे मीद ( ब्लूचिस्तान का एक गिरोह ) सिंध *बहरी कजाकों ( समुंद्री डकैत ) पर हमला किया और उसी हमला में कत्ल हो गया। संनान बिन सलमा ने फौज का नज्मों नसक अपने हाथ में ले लिया फिर जय्याद ने उसको सरहदे सिंध का गवर्नर बना दिया। दो साल यहां क़याम किया, ईशा हमदान मकरान के बारे में कहा है तु मकरान जाता है बेशक वहां जाना और आना बहुत बाद यानी मुश्किल है। मकरान मेरा मकसद न था और न वहां कोई लड़ाई है और न ही तिजारत, मुझसे वहां के हालात बयान किए गए हैं मगर मैं वहां गया नही था मैं उसके जिक्र से खौफजदा रहता हूं। हालात ये हैं कि ज्यादा आदमी वहां भूखे मर जाएं और थोड़े आदमी वहां मुसीबत में पड़ जाएं।

   इबाद बिन जय्याद ने सरहदे सिंध सजिस्तान की जानिब से हमला किया। आखिरकार सनारोज आया फिर वहां से सिस्तान में "हिंद मंद" तक कब्ज़ा कर लिया फिर कश में उतरा और वहां से रेगिस्तान कुसा करके कंधार आया। कंधार वालो से लड़ा और हराकर जंग की मैदान से भगा दिया। थोड़े से मुस्लमानो की शहादत के बाद कंधार फतह कर लिया। इबाद बिन जियाद ने कंधार वालों की लंबी लंबी टोपियां तो उसने उसी तरह की टोपियां पहनी इस वजह से उनका नाम इबादिया रखा गया।

  इब्ने मुफर्रिग ने कहा -

गरम इलाकों और हिंदुस्तान की जमीनों में बहुत से पैरों के निशान हैं और बहुत से शहीदों की कमीजे पड़ी हैं, काश की वह दफ्न किया जाते कंधार में, और जिसकी मौत कंधार में लिखी होगी उसकी ख़बरें अटकल से बयान की जाएंगी यानी इतनी दूर जाकर जिंदा वापिस आना या सही ख़बर मयस्सर आना बहुत मुश्किल है।

   फिर जियाद ने मुंजीर बिन जारूद अब्दी को सरहदे हिंद का गवर्नर बना दिया। उसने बुकान और कैकान पर हमला किया, मुस्लमानों ने फतह हासिल की। माले गनीमत हासिल किया और फौजी दस्ते उनके शहरों में फैला दिए "कसदार" को फतह कर वहां के बाशिंदों को गिरफ्तार किया। संनान ने इससे पहले कसदार को फतह कर लिया था मगर कसदार वालों ने वादे को तोड़ दिया था इसलिए दोबारा फतह किया। कसदार में ही मुंजिर ने वफात ( मौत ) पायी।

 शायर कहता है।

मुंजिर कसदार में उतरा और वहीं कब्र में रह गया, वापिस जाने वालों के साथ वापिस नही गया। कसदार और उसके अंगूरों के बाग भी किस तरह खुशनसीब हैं 'दीन व दुनिया के कैसे अच्छे नौजवानों को इन्होंने अपने आगोश में छिपा लिया।

  इसके बाद अब्दुल्लाह बिन ज़ियाद ने इब्ने कुरी हाबिली को गवर्नर बनाया और हिंद की सरहद पर भेज दिया। अल्लाह पाक ने सिंध की शहर उसके हाथ पर फतह किए और उसने वहां बहुत मुश्किल लड़ाईयां लड़ी और फतह हासिल की और माले गनीमत से मालामाल हुआ। इतिहासकारों की एक गिरोह ने कहा कि अब्दुल्लाह बिन ज़ियाद ने संनान बिन सलमा को गवर्नर बनाया था और इब्ने हुर्री उसके फौजी दस्तूर पर सरदार था।

तर्जुमा - इब्राहिम आबिस